1. भारत महिमा (जयशंकर प्रसाद)
हिमालय के आँगन में उसे, प्रथम किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया, और पहनाया हीरक हार ।
जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक ।
Sabdaqa- : उषा-सुबह, अभिनंदन-स्वागत , आलोक-प्रकाश , व्योम-आकाश,
तम-अँधेरा, पुंज-समूह , अखिल-सम्पूर्ण , संसृति-संसार , अशोक- शोकरहित
अर्थ :- कवि भारतवर्ष kI maihmaa ka
gauNagaana krto hue khto hOM ik saUya- sabasao phlao ApnaI ikrNaaoM kI BaoMT
ihmaalaya ko AaMgana Aqaa-t भारतवर्ष kao dota hO.उषा h^Msakr Baart ka AiBanaMdna krtI hO
AaOr ]sao hIraoM ka har phnaatI hO Aqaa-t saUya- kI ikrNaoM ihmaalaya pr pD,tI
hOM ijasako karNa Aaosa kI baUMdoM hIro ko kNaaoM kI BaaMit camaknao lagatI
hOM.
kiva ka khnaa hO
ik sabasao phlao &ana ka ]dya Baart maoM huAa.[sako baad hma saaro ivaSva
kao &ana dokr jagaanao lagao. [sa प्रkar AakaSa tk Cayaa huAa A&ana ka
AMQakar नष्ट hao
gayaa.sampUNa- saMsaar &ana imala jaanao ko karNa Saaokriht hao gayaa.
विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत
सप्तस्वर सप्तसिन्धु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम संगीत ।
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम ।
Sabdaqa- : विमल – पवित्र, वाणी – सरस्वती, कर – हाथ, सप्रीत – प्रेमपूर्वक, सप्तस्वर –सात स्वर, सप्त सिन्धु – सात नदियाँ ( सिन्धु, रावी,सतलुज,झेलम, सरस्वती,चेनाब तथा व्यास), साम संगीत – सामवेद के मंत्रों का संगीतमय पाठ धरा – पृथ्वी, भिक्षु – संन्यासी
अर्थ :- :- कवि का कहना है कि सबसे पहले विद्या की देवी सरस्वती की कृपा भारत पर हुई । उन्होंने अपने कोमल करों (haqaaoM) में प्रेम के साथ वीणा धारण की और उस वीणा से सात स्वर, सात नदियों के प्रदेश भारतवर्ष में गूँजे जिसके कारण सामवेद के मधुर गीतों की रचना हुई ।
भारतvaaisayaaoM kI
ivajaya kovala laaoho Aqaa-t kovala Sas~aoM kI hI nahIM rhI. samast saMsaar
maoM Qama- va SaaMit ka saMdoSa sabasao phlao yahIM sao fOlaayaa gayaa qaa. सम्राट ASaaok baaOw Qama-
kI dIxaa laonao ko baad rajasaI sauK CaoD,kr iBaxau bana gayao qao tqaa घर-घर GaUmakr manauYyaaoM kao dyaa-Baava kI saIK
donao lagao qao.
‘gaaorI’ को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण-भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यही, कहीं से हम आए थे नहीं।
Sabdaqa- : स्वर्ण-भूमि – बर्मा, रत्न – बौद्ध धर्म में बुद्ध,संघ और धर्म को त्रिरत्न की संज्ञा दी गई है, शील – गौतम बुद्ध के द्वारा बनाई गई आचार संहिता: अस्तेय, अहिंसा, मादक पदार्थों का त्याग, सत्य तथा ब्रह्मचर्य.
अर्थ :- कवि कहते हैं कि भारत ही वह देश है जहाँ pRqvaIraja
caaOhana nao, ivadoSaI hmalaavar
maaohmmad gaaorI kao maaf kr ko CaoD, idyaa qaa AaOr सम्राट अशोक Wara भेजे अनेक भिक्षुओं ने चीन देश में जाकर धर्म का प्रचार ikyaa qaa। बौद्ध – भिक्षुओं ने बर्मा के लोगों को बौद्ध – धर्म की शिक्षा दी थी और बौद्ध – धर्म के तीन रत्नों – बुद्ध, संघ और धर्म – का ज्ञान कराया था va EaIलंका को पंचशील के सिद्धांत से अवगत कराया।
कवि का कहना है कि hmanao iksaI doSa
pr Aak`maNa krko kBaI CInaa nahIM @yaaoMik प्रकृति nao hmaoSaa hmaara palana ikyaa. हम भारतभूमि kI संतान हैं, हम कहीं बाहर से नहीं आए qao।
चरित के पूत, भुजा में शक्ति,नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न ।
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव ।
Sabdaqa- : उत्थान – उन्नति, प्रचंड - भयंकर, समीर – हवा, चरित – चरित्र,
पूत – पवित्र, विपन्न – विपत्ति में फँसा हुआ, संचय–एकत्रित करना,
देव – देवता, टेव – आदत.
अर्थ :- कवि का कहना है कि भारतvaaisayaaoM ने बड़े-बड़े संघर्षों को झेला है। ifr BaI हमारा चरित्र पवित्र रहा है, भुजाओं में शक्ति रही है tqaa नम्रता हमारे चरित्र की सबसे बड़ी खूबी रही है। हम भारतvaaisayaaoM की विशेषता रही है कि हम किसी को विपत्तिग्रस्त अर्थात दुखी नहीं देख सकते।
हम भारतवासी धन का संचय, दान ko ilayao करते qaoo, अतिथियों को ईश्वर मानते qao, सदा सत्य बोलते qao, idla sao saaf, अपनी प्रतिज्ञा का पालन दृढ़ता से करते qao।
वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान
वही है शांति,वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतान ।
जिएँ तो सदा उसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष ।
Sabdaqa-
: –दिव्य – अलौकिक, सर्वस्व – सब कुछ, idvya-dovata samaana
अर्थ :- कवि कहते हैं कि आज भी हमारे मन का साहस और ज्ञान वैसा ही है, हममें वैसा ही बल और शांति है @yaaoMik hma
dovataAaoM jaOsao Aayaao- kI saMtana hOM. हमारे मन में सदा यह अभिमान बना रहे कि हम अपने देश के लिए जी रहे हैं, इस बात का अनुभव करके हम खुशी से भर उठें। हमारा भारतवर्ष हमें अत्यंत प्रिय है। हम अपना सब कुछ इसी पर न्यौछावर कर दें ।
raja
Very nice and useful blog. The meaning of the Poem is given in a very simple way so that the students can understand easily, remember and recall while answering questions.
ReplyDeleteuseful content ...
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