Monday, April 27, 2020

पहली इकाई - पाठ 4, पेज 15, हाइकु “मन” (कवि: विकास परिहार)

हिंदी लोकभारतीदसवीं कक्षा - कविता व अर्थ 
पहली इकाई - पाठ क्रमांक 4, पेज नंबर 15 
हाइकु  “मन”           (कवि: विकास परिहार)        

                                      
(1)
    घना अंधेरा
चमकता प्रकाश
और अधिक। 

अर्थ -> जब अंधेरा घना होता है तब प्रकाश और अधिक चमकता है अर्थात जब प्रतिकूल परिस्थितियाँ घने अंधकार के रुप में हमें घेर लेती हैं, तब वहीं से एकाएक प्रकाश की किरणें फूट पड़ती हैं।


(2)
करते जाओ
पाने की मत सोचो
जीवन सारा। 

अर्थ -> हमें पूरा जीवन काम करते रहना चाहिए. यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें क्या मिलेगा.

(3)
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?

अर्थ -> जीवन रूपी नैया यदि संसार रूपी सागर में डगमगा रही है, तो उसे दूसरा कोई संभालने नहीं आएगा। हमें स्वयं ही उसे पार लगाने के लिए प्रयास करना पड़ेगा.

(4)
रंग-बिरंगे
रंग -संग लेकर
आया फागुन.

अर्थ -> फागुन का महिना अपने साथ बसंत के विविध रंग लेकर आया है। इसलिए यह महिना उल्लास का समय है। अत: हम सभी को ऐसे उमंग वाले समय में सब परेशानियों को भूलकर बसंत ऋतु का आनंद लेना चाहिए.

(5)
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा। 

अर्थ -> गुलाब का फूल काँटों के बीच भी खुश है व खिलखिलाता है। वह हमें संदेश देता है कि परेशानियों से घबराए बिना अपने काम की ओर बढ़ते जाना चाहिए।

(6)
भीतरी कुंठा
आँखों के द्वार से
आई बाहर। 

अर्थ -> जब आँखों से आँसु बहते हैं तो यह समझना चाहिए कि मन में दबी हुई कुंठा व  निराशा, नयन रुपी दरवाज़े से बाहर आ रही है।

(7)
खारे जल से
धुल गए विषाद
मन पावन। 

अर्थ -> जब आँखों से आँसु बहते हैं तब यह समझना चाहिए कि इन आँसुओं के खारे जल के साथ मन का संपूर्ण विषाद धुल गया है और मन पहले के समान पावन हो गया है.

    (8) 
    मृत्यु को जीना 
    जीवन विष पीना 
    है जिजीविषा.
     अर्थ -> प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक परेशानियाँ और अप्रिय प्रसंग होते हैं।  ऐसे में      जीवन रुपी संग्राम में डटे रहना ही हमारी जिजीविषा का प्रमाण है। 
     (9) 
     मन की पीड़ा 
     छाई बन बादल 
     बरसीं आंखें।  
      अर्थ -> जब आकाश में बादल बहुत घने होते हैं, तभी वर्षा होती है। उसी प्रकार जब मन की पीड़ा अधिक गहरी हो जाती है, तब वह आसुओं के रूप में बरसने लगती है।  

     (10) 
      चलतीं साथ 
      पटरियाँ रेल की 
      फिर भी मौन। 
      अर्थ ->  रेल की पटरियाँ अनंत काल से साथ चल रही हैं, परंतु वे सदा मौन रहतीं हैं। एक-दूसरे से कभी नहीं मिलती।     

      (11)
       सितारे छिपे 
       बादलों की ओट में 
       सूना आकाश. 
       अर्थ -> सितारे आकाश की शोभा बढ़ाते हैं।  जैसे ही ये सितारे  बादलों  की ओट में छिपते हैं, तो  आकाश सूना हो जाता है। ठीक इसी प्रकार कुछ लोग हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं।  उनके चले जाने पर मानों हमारा जीवन निरर्थक हो जाता है। 
    
       (12) 
        तुमने दिए 
        जिन गीतों को स्वर 
        हुए अमर. 
        अर्थ -> कवि के अंदर अनोखी क्षमता होती है।  वह जिन गीतों को स्वर देता है, वे अमर हो जाते हैं.. इसी प्रकार कवि, श्री विकास परिहार अपनी रचनाओं के द्वारा समाज में परिवर्तन लाना चाहते हैं। 
       (13) 
        सागर में भी
        रहकर मछली 
        प्यासी ही रही.
        अर्थ -> सागर में पानी ही पानी होता है, परंतु खारा होने के वह पानी पीने योग्य नहीं होता।  इसी प्रकार कोई व्यक्ति कितना भी धनवान क्यों न हो, यदि वह किसी जरूरतमंद के काम नहीं आता, तो उसका धनवान होना व्यर्थ है। 


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