Monday, April 27, 2020

दूसरी इकाई - पाठ 6, पेज 74, “हम उस धरती की संतति हैं” (कवि : उमाकांत मालवीय)

हिंदी लोकभारतीदसवीं कक्षा 
दूसरी इकाई - पाठ 6, पेज 74, 
“हम उस धरती की संतति हैं”           (कवि : उमाकांत मालवीय)

(पद 1)

हम उस धरती के लड़के हैं, जिस धरती की बातें
क्या कहिए; अजी क्या कहिए; हाँ क्या कहिए।
यह वह मिट्टी, जिस मिट्टी में खेले थे यहाँ ध्रुव-से बच्चे ।
अर्थ-> ( इस कविता में लड़के, अपने आपको लड़कियों से बढ़- चढ़कर बताते हुए, अपनी प्रशंसा में  कहते हैं-) हम उस धरती पर रहने वाले लड़के हैं, जिनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम हैं। यह वही धरती है, जहाँ ध्रुव जैसे महापुरुष का जन्म हुआ था और वे इसी मिट्टी में खेले थे।
(पद 2)
यह मिट्टी, हुए प्रहलाद जहाँ, जो अपनी लगन  के थे सच्चे ।
शेरों के जबड़े खुलवाकर, थे जहाँ भरत दतुली गिनते,
जयमल-पत्ता अपने आगे, थे नहीं किसी को कुछ गिनते !

अर्थ ->इसी मिट्टी में भक्त 
प्रहलाद  का जन्म हुआ था। सारी दुनिया को मालूम है कि वे अपनी धुन के कितने सच्चे थे। यहीं  पर भरत जैसे वीर और साहसी बालक का जन्म हुआ था। वे इतने निडर थे कि शेरों के मुँह खुलवाकर उनके दाँत गिना करते थे। जयमल और पत्ता जैसे वीर भी इसी मिट्टी में पैदा हुए थे, जो अपनी वीरता के आगे किसी से डरते नहीं थे।
(पद 3)
इस कारण हम तुमसे बढ़कर , हम सबके आगे चुप रहिए।
अजी चुप रहिए, हाँ चुप रहिए। हम उस धरती के लड़के हैं ........

अर्थ->लड़के लड़कियों को नीचा दिखाते हुए कहते हैं कि इन सभी कारणों से हम तुम लोगों से बढ़कर हैं। इसलिए तुम सब हमारा सामना नहीं कर सकती हो। अत: हमारे सामने तुम लोग अपना मुँह बंद रखो।कुछ बोलने की कोशिश मत करो।

(पद 4)
बातों का जनाब, शऊर नहीं, शेखी न बघारें, हाँ चुप रहिए।
हम उस धरती की लड़की हैं, जिस धरती की बातें क्या कहिए।

अर्थ ->अब लड़कियाँ लड़कों को जवाब दे रही हैं कि आप लोगों को बात करने का ढंग तक तो मालूम नहीं हैं। आप अपनी प्रशंसा ख़ुद मत कीजिए और चुप रहिए। 
हम उस धरती की लड़कियाँ हैं, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम हैं।
(पद 5)  
अजी क्या कहिए, हाँ क्या कहिए।
जिस मिट्टी में लक्ष्मीबाई जी, जन्मी थीं झाँसी की रानी।
रज़िया सुलताना, दुर्गावती, जो ख़ूब लड़ी थीं मर्दानी ।
जन्मी थी बीबी चाँद जहाँ , पद्मिनी के जौहर की ज्वाला ।
सीता, सावित्री की धरती, जन्मी ऐसी-ऐसी बाला।
गर डींग जनाब उड़ाएँगे, तो मजबूरन ताने सहिए, ताने सहिए, ताने सहिए।
हम उस धरती की लड़की हैं....

अर्थ ->हम उस धरती की लड़कियाँ हैं, जिसकी मिट्टी में वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था।
दुर्गावती और रज़िया सुलताना जैसी मर्दानी वीरांगनाएँ भी इसी मिट्टी में पैदा हुई थीं, जिन्होंने लड़ाई के मैदान में अपना अद्भुत पराक्रम दिखाया था।
चाँद बीबी जैसी वीरांगना और जौहर की ज्वाला में हँसते-हँसते कूद जाने वाली महान नारी पद्मिनी का जन्म भी इसी मिट्टी में हुआ था।
यह सीता और सावित्री जैसी महान नारियों की जन्म-स्थली है।
यदि आप लड़के लोग अपने श्रेष्ठ होने की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, तो हमारे ताने भी सहिए। याद रखिए, हम इन महान नारियों की धरती की लड़कियाँ हैं।
(पद 6)  
यों आप खफा क्यों होती हैं, टंटा काहे का आपस में।
हमसे तुम या तुमसे हम बढ़-चढ़कर क्या रक्खा इसमें।
झगड़े से न कुछ हासिल होगा, रख देंगे बातें उलझा के।
बस बात पते की इतनी है, ध्रुव या रज़िया भारत माँ के।
भारत माँ के रथ के हैं हम दोनों ही दो-दो पहिये, अजी दो पहिये, हाँ दो पहिये ।
हम उस धरती की संतति हैं......

अर्थ -> (लड़कियों का जवाब सुनकर लड़के समझदारी की बात करते हुए कहते हैं....)  आप नाराज़ क्यों होती हैं? इसमें आपस में झगड़ने की कोई बात नहीं हैं।
इस बात में क्या रखा है कि हमसे आप लोग बढ़कर हैं अथवा आपसे हम लोग बढ़कर हैं।
इस तरह की बातें हमें आपस में उलझाकर रख देंगी और इससे न हमें फ़ायदा होगा और न आपको ही। सच्ची बात तो यह है कि ध्रुव और रज़िया दोनों ही भारत माँ की संतान हैं। हम लोग भारत माता के रथ के दो पहिए हैं। हम सब इसी धरती की संतान हैं ।
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